हिन्दी वर्ण पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- हिन्दी में 51 वर्ण है। इसके उच्चारण समूह को ’वर्णमाला’ कहते है।
- स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- व्यंजन-
कवर्ग – क, ख, ग, घ, ड़
चवर्ग- च, छ, ज, झ, ञ
टवर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण
तवर्ग- त, थ, द, ध, न
पवर्ग- प, फ, ब, भ, म - अन्तःस्थ- य, र, ल, व
- ऊष्म – श, ष, स, ह
- संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ
- द्विगुण व्यंजन – ड़, ढ़
- अनुस्वार ( ँ ), विसर्ग (: )
- स्वरवर्णों की संख्या 11 है।
- ह्नस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ
- दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ
- संयुक्त स्वर – ए, ऐ, ओ, औ
- व्यंजन वर्ण के उच्चारण स्थान
कवर्ग – कण्ठ से
चवर्ग – तालु से
टवर्ग – मूद्र्धा से
तवर्ग – दन्त से
पवर्ग – ओष्ठ से - इसे भी जानें-
कण्ठय – कण्ठ और निचली जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – अ, आ, कवर्ग, ह और विसर्ग
तालव्य – तालु और जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – इ, ई, चवर्ग, य और श
मूर्द्धन्य – मूद्र्धा और जीभ के स्पर्श वाले वर्ण – ऋ, टवर्ग, र और ष
दन्त्य – दाँत और जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – तवर्ग, ल, स
कण्ठतालव्य – कण्ठ और तालु में जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण – ए, ऐ
ओष्ठ्य – दोनो ओठों के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – उ, ऊ, पवर्ग
दन्तोष्ठ्य – दाँत से जीभ और ओठों के कुछ योग से बोला जानेवाला वर्ण – व
घोष वर्ण – पं्रत्येक वर्ग का तीसरा, चैथा और पाँचवा वर्ण, सारे स्वरवर्ण, य, र, ल, व और ह।
अघोष वर्ण – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स।
हल् – व्यंजन के नीचे एक तिरछी रेखा को हल् कहते है।
नये व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ
सन्धि – दो वर्णों के मेल से होनेवाले विकार को ’सन्धि’ कहते है। इसके तीन भेद है-
स्वरसन्धि – दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण् और अयादि इसके प्रकार है।
व्यंजनसन्धि – व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न विकार को ’व्यंजनसन्धि’ कहते है।
विसर्गसन्धि – विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार होता है उसे ’विसर्गसन्धि’ कहते है।