Hindi Essay Writing for SSC JHT Paper II | Tips and Strategy

निबंध के सेक्शन को पूर्णतः Knowledge-based सेक्शन ना मानें। आपके पास शिर्षक-संबंधित थोड़ा कम भी ज्ञान हो तो चिन्ता न करें। आप चंद आधारभूत तथ्यों और आँकडों के बदौलत ही अच्छे अंक अर्जित कर सकते है। वशर्ते आपके पास यह दक्षता या Skill हो जिससे आप दिये गये निबंध को उसके Nature के आधार पर उसे सही रुप दे सकें। और यह दक्षता आप 20-30 निबंधों को लिखकर आसानी से प्राप्त कर सकते है।

Essay writing – Tips and Strategy for SSC JHT Exam Paper 2 | Anuwad | Translation | Hindi Essay

एक निबंध है नारी सशक्तिकरण जो कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये है। इस परीक्षा के लिए भी यह निबंध महत्वपूर्ण है। इस निबंध को लिखने के लिए निम्नलिखित प्रारुप का इस्तेमाल करें-

Tips and Strategy / How to Prepare – SSC JHT Translation / Anuwad | Paper II | Descriptive English Paper

There is a strong opposition to the new Agriculture Bill brought by the central government. Farmers across the country demonstrated against the bill. While Harsimrat Kaur Badal, who was a minister in central government, resigned in protest against the agriculture bill, the opposition is also continuously opposing this bill. Rahul Gandhi said that he would knock at court’s door, calling the Bill a black law.

SSC JHT, Rajbhasha Adhikari – FAQ, Syllabus, Eligibility and difference

SSC JHT 2020 FAQs SSC JHT किस तरह की परीक्षा है? कर्मचारी चयन आयोग भारत सरकार में विभिन्न मंत्रालयों / विभागों / संगठनों के लिए जूनियर हिंदी अनुवादक, वरिष्ठ हिंदी अनुवादक की भर्ती के लिए एक खुली प्रतियोगी परीक्षा है। Read more …

Sample Translation / Anuwad for PGDT, JHT, Rajbhasha Adhikari

तुलनात्मक साहित्य एक भाव है ऐसा भाव जो उन्य साहित्यों के प्रति षालीनता दिखाता है। और बिना किसी भेद भाव का यह हमलोगों मे होना चाहिए। यह जन्य संस्कृति या भाशा साहित्य जैसे को आदर करने की क्रमागत उन्नति की दषा है और हमें थोड़ा अपूर्ण बनाता है। उदासीनता सबसे खराब तिरस्कार है जो दूसरे पर लगाया जाता है।

Translation – Hindi to English for SSC JHT and RAJBHASHA Adhikari Exam| Anuwadak

अब बड़े-बड़े शहरों में दाइयां, नर्सें और लेडी डॉक्टर, सभी पैदा हो गयी है. लेकिन देहातों में जच्चेखाने पर अभी तक अशिक्षित दाइयों का ही प्रभुत्व है और निकट भविष्य में इसमें कोई तबदीली की आशा नहीं. बाबू महेशनाथ अपने गाँव के जमीदार थे, शिक्षित थे और जच्चेखानें में सुधार की आवश्यकता को मानते थे. लेकिन इसमें जो बाधाएं थी, उन पर कैसे विजय पते? कोई नर्स देहात में जाने पर राजी न हुई और बहुत कुछ कहने-सुनने से राजी हुई तो इतनी लम्बी-चौड़ी फीस मांगी कि बाबू साहब को सर झुकाकर